लूका 18:18-30
18फिर किसी यहूदी नेता ने यीशु से पूछा, “हे उत्तम गुरु, अनन्त जीवन का अधिकार पाने के लिये मुझे क्या करना चाहिये?”
19यीशु ने उससे कहा, “तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? केवल परमेश्वर को छोड़ कर और कोई भी उत्तम नहीं है।20तू व्यवस्था के आदेशों को तो जानता है, ‘व्यभिचार मत कर, हत्या मत कर, चोरी मत कर, झूठी गवाही मत दे, अपने पिता और माता का आदर कर।’ ”
21वह यहूदी नेता बोला, “मैं इन सब बातों को अपने लड़कपन से ही मानता आया हूँ।”
22यीशु ने जब यह सुना तो वह उससे बोला, “अभी भी एक बात है जिसकी तुझ में कमी है। तेरे पास जो कुछ है, सब कुछ को बेच डाल और फिर जो मिले, उसे गरीबों में बाँट दे। इससे तुझे स्वर्ग में भण्डार मिलेगा। फिर आ और मेरे पीछे हो ले।”23सो जब उस यहूदी नेता ने यह सुना तो वह बहुत दुखी हुआ, क्योंकि उसके पास बहुत सारी सम्पत्ति थी।
24यीशु ने जब यह देखा कि वह बहुत दुखी है तो उसने कहा, “उन लोगों के लिये जिनके पास धन है, परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर पाना कितना कठिन है!25हाँ, किसी ऊँट के लिये सूई के नकुए से निकल जाना तो सम्भव है पर किसी धनिक का परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर पाना असम्भव है।”
26वे लोग जिन्होंने यह सुना, बोले, “फिर भला उद्धार किसका होगा?”
27यीशु ने कहा, “वे बातें जो मनुष्य के लिए असम्भव हैं, परमेश्वर के लिए सम्भव हैं।”
28फिर पतरस ने कहा, “देख, हमारे पास जो कुछ था, तेरे पीछे चलने के लिए हमने वह सब कुछ त्याग दिया है।”
29तब यीशु उनसे बोला, “मैं सच्चाई के साथ तुमसे कहता हूँ, ऐसा कोई नहीं है जिसने परमेश्वर के राज्य के लिये घर-बार या पत्नी या भाई-बंधु या माता-पिता या संतान का त्याग कर दिया हो,30और उसे इसी वर्तमान युग में कई गुणा अधिक न मिले और आने वाले काल में वह अनन्त जीवन को न पा जाये।”
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